Aiso Ko Udar Jagmahi

राम की उदारता ऐसो को उदार जग माहीं बिनु सेवा जो द्रवै दीन पर, राम सरिस कोउ नाहीं जो गति जोग बिराग जतन करि, नहिं पावत मुनि ग्यानी सो गति देत गीध सबरी कहँ, प्रभु न बहुत जिय जानी जो संपत्ति दस सीस अरपि करि रावन सिव पहँ लीन्हीं सोई संपदा विभीषन कहँअति, सकुच सहित […]