Prat Bhayo Jago Gopal

प्रभाती प्रात भयौ, जागौ गोपाल नवल सुंदरी आई बोलत, तुमहिं सबै ब्रजबाल प्रगट्यौ भानु, मन्द भयौ चंदा, फूले तरुन तमाल दरसन कौं ठाढ़ी ब्रजवनिता, गूँथि कुसुम बनमाल मुखहि धोई सुंदर बलिहारी, करहु कलेऊ लाल ‘सूरदास’ प्रभु आनंद के निधि, अंबुज-नैन बिसाल

Ab Jago Mohan Pyare

प्रभाती अब जागो मोहन प्यारे मात जसोदा दूध भात लिये, बैठी प्रात पुकारे उठो मेरे मोहन आ मेरे श्याम, माखन मिसरी खारे वन विचरन को गौएँ ठाड़ीं, ग्वाल बाल मिल सारे तुम रे बिन एक पग नहिं चाले, राह कटत सब हारे ना तुम सोये ना मैं जगाऊँ, लोग भरम भये प्यारे दासी ‘मीराँ’ झुक […]

Aab Jago Mohan Pyare

प्रभाती अब जागो मोहन प्यारे, तुम जागो नन्द दुलारे हुआ प्रभात कभी से लाला, धूप घरों पर छाई गोपीजन आतुरतापूर्वक, तुम्हें देखने आर्इं ग्वाल-बाल सब खड़े द्वार पर, कान्हा ली अँगड़ाई गोपीजन सब मुग्ध हो रहीं, निरखें लाल कन्हाई जसुमति मैया उठा लाल को, छाती से लिपटाये चन्द्रवदन को धुला तभी, माँ मक्खन उसे खिलाये