Jewat Kanh Nand Ju Ki Kaniya

बालकृष्ण को जिमाना जेंवत कान्ह नन्दजू की कनियाँ कछुक खात कछु धरनि गिरावत, छबि निरखत नँद–रनियाँ बरी, बरा, बेसन बहु भाँतिन, व्यंजन विविध अँगनियाँ आपुन खात नंद-मुख नावत, यह सुख कहत न बनियाँ आपुन खात खवावत ग्वालन, कर माखन दधि दोनियाँ सद माखन मिश्री मिश्रित कर, मुख नावत छबि धनियाँ जो सुख महर जसोदा बिलसति, […]

Radha Ju Ke Pran Govardhandhari

राधा प्रेमी स्याम राधा जू के प्रान गोवर्धनधारी तरु-तमाल प्रति कनक लतासी, हरि की प्रान राधिका प्यारी मरकत-मणि सम श्याम छबीलो, कंचन-तन-वृषभानु दुलारी ‘सूरदास’ प्रभु प्रीति परस्पर, जोरी भली बनी बनवारी

Hari Ju Hamari Aur Niharo

शरणागति हरिजू! हमरी ओर निहारो भटकि रहे भव-जलनिधि माँही, पकरो हाथ हमारो मत्सर, मोह, क्रोध, लोभहु, मद, काम ग्राह ग्रसि डारो डूबन चाहत नहीं अवलम्बन, केवट कृष्ण निकारो बन पाषान परे इत उत हम, चरननि ठोकर मारो केवल किरपा प्रभु ही सहारो, नाथ न निज प्रन टारो  

Radha Ju Mo Pe Aaj Dharo

श्री राधाजी की कृपा राधाजू! मो पै आजु ढरौ निज, निज प्रीतम की पद-रज-रति, मोय प्रदान करौ विषम विषय रस की सब आशा, ममता तुरत हरौ भुक्ति मुक्ति की सकल कामना, सत्वर नास करौ निज चाकर चाकर की सेवा मोहि प्रदान करौ राखौ सदा निकुंज निभृत में, झाड़ूदार बरौ  

Dhuri Bhare Ati Shobhit Shyam Ju

श्री बालकृष्ण माधुर्य धूरि-भरे अति शोभित स्यामजू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी खेलत-खात फिरै अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछौटी वा छबि को रसखानि बिलोकत, बारत काम कलानिधि कोटी काग के भाग कहा कहिए हरि, हाथ सों लै गयो माखन रोटी शेष, महेश, गनेश, दिनेस, सुरेशहु जाहि निरन्तर गावैं जाहि अनादि अखण्ड अछेद, अभेद सुवेद […]

Mero Man Nand Nandan Ju Haryo

श्रीकृष्ण छटा मेरो मन नँद-नन्दन जू हर्यो खिरक दुहावन जात रही मैं, मारग रोक रह्यो वह रूप रसीलो ऐसो री, नित नूतन मन ही फँस्यो वह निरख छटा अब कित जाऊँ, हिरदै में आन बस्यौ तेहि छिन ते मोहिं कछु न सुहावै, मन मेरो लूट लियो त्रिभुवन-सुन्दर प्रति प्रेम सखी, है अटल न जाय टर्यो