Kanh Kahat Dadhi Dan N Deho

जकाती श्याम कान्ह कहत दधि दान न दैहों लैहों छीनि दूध दधि माखन, देखत ही तुम रैहों सब दिन को भरि लेहुँ आज ही, तब छाँड़ौं मैं तुमको तुम उकसावति मात पिता को, नहीं जानो तुम हमको (सखी) हम जानत हैं तुमको मोहन, लै लै गोद खिलाए ‘सूर’ स्याम अब भये जकाती, वे दिन सब […]

Tiharo Krishna Kahat Ka Jat

चेतावनी तिहारौ कृष्ण कहत का जात बिछुड़ैं मिलै कबहुँ नहिं कोई, ज्यों तरुवर के पात पित्त वात कफ कण्ठ विरोधे, रसना टूटै बात प्रान लिये जैम जात मूढ़-मति! देखत जननी तात जम के फंद परै नहि जब लगि, क्यों न चरन लपटात कहत ‘सूर’ विरथा यह देही, ऐतौ क्यों इतरात

Nandahi Kahat Jasoda Rani

मुख में सृष्टि नंदहि कहत जसोदा रानी माटी कैं मिस मुख दिखरायौ, तिहूँ लोक रजधानी स्वर्ग, पताल, धरनि, बन, पर्वत, बदन माँझ रहे आनी नदी-सुमेर, देखि भौंचक भई, याकी अकथ कहानी चितै रहे तब नन्द जुवति-मुख, मन-मन करत बिनानी सूरदास’ तब कहति जसोदा, गर्ग कही यह बानी

Mohi Kahat Jubati Sab Chor

चित चोर मोहिं कहति जुवति सब चोर खेलत कहूँ रहौं मैं बाहिर, चितै रहतिं सब मेरी ओर बोलि लेहिं भीतर घर अपने, मुख चूमति भर लेति अँकोर माखन हेरि देति अपने कर, कई विधि सौं करति निहोर जहाँ मोहिं देखति तँहै टेरति, मैं नहिं जात दुहाई तोर ‘सूर’ स्याम हँसि कंठ लगायौ, वे तरुनी कहँ […]

Shyam Kahat Puja Giri Mani

अन्नकूट श्याम कहत पूजा गिरि मानी जो तुम भाव-भक्ति सों अरप्यो, देवराज सब जानी तुम देखत भोजन सब कीनो, अब तुम मोहि प्रत्याने बड़ो देव गिरिराज गोवर्धन, इनहि रहो तुम माने सेवा भली करी तुम मेरी, देव कही यह बानी ‘सूर’ नंद मुख चुंबत हरि को, यह पूजा तुम ठानी