Prabhu Se Jo Sachcha Prem Kare

हरि-भक्ति प्रभु से जो सच्चा प्रेम करे, भव-सागर को तर जाते हैं हरिकथा कीर्तन भक्ति करे, अर्पण कर दे सर्वस्व उन्हें हम एक-निष्ठ उनके प्रति हों, प्रभु परम मित्र हो जाते हैं लाक्षागृह हो या चीर-हरण, या युद्ध महाभारत का हो पाण्डव ने उनसे प्रेम किया, वे उनका काम बनाते है हो सख्य-भाव उनसे अपना, […]

Budhapa Bairi Tu Kyon Kare Takor

वृद्धा अवस्था बुढ़ापा बैरी, तूँ क्यों करे टकोर यौवन में जो साथ रहे, वे स्नेही बने कठोर जीर्ण हो गया अब तन सारा, रोग व दर्द सताते गई शक्ति बोलो कुछ भी तो, ध्यान कोई ना देते चेत चेत रे मनवा अब तो, छोड़ सभी भोगों को राम-कृष्ण का भजन किये बिन, ठोर नहीं हैं […]

Jankinath Sahay Kare Tab

रामाश्रय जानकीनाथ सहाय करे, तब कौन बिगाड़ सके नर तेरो सूरज, मंगल, सोम, भृगुसुत, बुध और गुरु वरदायक तेरो राहु केतु की नाहिं गम्यता, तुला शनीचर होय है चेरो दुष्ट दुशासन निबल द्रौपदी, चीर उतारण मंत्र विचारो जाकी सहाय करी यदुनन्दन, बढ़ गयो चीरको भाग घनेरो गर्भकाल परीक्षित राख्यो, अश्वत्थामा को अस्त्र निवार्यो भारत में […]

Bhojan Kare Shyam Kanan Main

वन-विहार भोजन करे श्याम कानन में ग्वाल-बाल संग हँसे हँसाये, मुदित सभी है मन में छीके खोल सखा सब बैठे, यमुना तट पर सोहे उनके मध्य श्याम-सुन्दर छबि, सबके मन को मोहे जूठे का संकोच नहीं, सब छीन झपट के खायें सभी निहारें मोहन मुखड़ा, स्वाद से भोजन पायें छटा निराली नटनागर की, धरी वेणु […]

Jasumati Man Abhilash Kare

माँ की अभिलाषा जसुमति मन अभिलाष करे कब मेरो लाल घुटुरूअन रैंगे, कब धरती पग धरै कब द्वै दाँत दूध के देखौ, कब तोतरे मुख वचन झरै कब नंद ही बाबा कहि बोले, कब जननी कहि मोहि ररै ‘सूरदास’ यही भाँति मैया , नित ही सोच विचार करै

Man Main Yah Rup Niwas Kare

युगल स्वरूप मन में यह रूप निवास करे दो गात धरे वह एक तत्व, अनुपम शोभा जो चित्त हरे वृषभानु-सुता देवकी-नन्दन के अंगों का बेजोड़ लास्य मधुरातिमधुर जिनका स्वरूप, अधरों पर उनके मंद हास्य गल स्वर्णहार, बैजंति-माल, आल्हादिनि राधा मनमोहन वृन्दावन में विचरण करते, वे वरदाता अतिशय सोहन निमग्न रास क्रीड़ा में जो, रति कामदेव […]

Shyam Bina Yah Koun Kare

श्याम की मोहिनी स्याम बिना यह कौन करै चित वहिं तै मोहिनी लगावै, नैक हँसनि पै मनहि हरै रोकि रह्यौ प्रातहिं गहि मारग, गिन करि के दधि दान लियौ तन की सुधि तबहीं तैं भूली, कछु कहि के दधि लूट लियौ मन के करत मनोरथ पूरन, चतुर नारि इहि भाँति कहैं ‘सूर’ स्याम मन हर्यौ […]

Shivshankar Ka Jo Bhajan Kare

आशुतोष शिव शिवशंकर का जो भजन करें, मनचाहा वर प्रभु से पाते वे आशुतोष औढरदानी, भक्तों के संकट को हरते जप में अर्जुन थे लीन जहाँ पर, अस्त्र-शस्त्र जब पाने को दुर्योधन ने निशिचर भेजा, अर्जुन का वध करने को मायावी शूकर रूप धरे, शीघ्र ही वहाँ पर जब आया शिव ने किरात का रूप […]

Dhuri Dhusrit Nil Kutil Kach Kare Kare

अन्तर्धान लीला धुरि धूसरित नील कुटिल कच, कारे कारे मुखपै बिथुरे मधुर लगें, मनकूँ अति प्यारे झोटा खात बुलाक, मोर को मुकुट मनोहर ऐसो वेष बनाइ जाउ जब, बन तुम गिरिधर तब पल-पल युग-युग सरिस, बीतत बिनु देखे तुम्हें अब निशिमहँ बन छाँड़ि तुम, छिपे छबीले छलि हमें

Sandhyopasan Dwij Nitya Kare

सन्ध्योपासना संध्योपासन द्विज नित्य करे, पातक उनके अनिवार्य जरे प्रातः, मध्याह्न तथा सायं, होए उपासना क्लेश हरे संध्यावन्दन में सूरज को, जल से हम अर्घ्य प्रदान करें ब्रह्मस्वरूपिणी गायत्री का, मंत्र विधिवत् जाप करे संध्या-महत्व को नहीं जाने वह नहीं करे तक संध्या को शुभ कर्मों का फल नहीं मिले, जीते जी क्षुद्र कहें उसको […]