Sakhi Ri Main To Rangi Shyam Ke Rang

श्याम का रंग सखी री मैं तो रंगी श्याम के रंग पै अति होत विकल यह मनुआ, होत स्वप्न जब भंग हो नहिं काम-काज ही घर को, करहिं स्वजन सब तंग किन्तु करुँ क्या सहूँ सब सजनी, चढ्यो प्रेम को रंग आली, चढ़ी लाल की लाली, अँग-अँग छयो अनंग स्याममयी हो गई सखी मैं तो, […]

Jin Ke Sarvas Jugal Kishor

युगल श्री राधाकृष्ण जिनके सर्वस जुगलकिशोर तिहिं समान अस को बड़भागी, गनि सब के सिरमौर नित्य विहार निरंतर जाको, करत पान निसि भोर ‘श्री हरिप्रिया’ निहारत छिन-छिन, चितय नयन की कोर 

Bhagwan Krishna Ke Charno Main

स्तुति भगवान् कृष्ण के चरणों में, मैं करूँ वंदना बारंबार जो प्राणि-मात्र के आश्रय हैं, भक्तों के कष्ट वही हरतें ब्रह्मादि देव के भी स्वामी, मैं करूँ प्रार्थना बारंबार जो आदि अजन्मा भी यद्यपि हैं, पर विविध रूप धारण करते पृथ्वी पर लीलाएँ करते, मैं करूँ स्तवन बारंबार जब संकट से हम घिर जाते, करूणानिधि […]

Janak Mudit Man Tutat Pinak Ke

धनुष भंग जनक मुदित मन टूटत पिनाक के बाजे हैं बधावने, सुहावने सुमंगल-गान भयो सुख एकरस रानी राजा राँक के दुंदभी बजाई, सुनि हरषि बरषि फूल सुरगन नाचैं नाच नाय कहू नाक के ‘तुलसी’ महीस देखे दिन रजनीस जैसे सूने परे सून से, मनो मिटाय आँक के

Hamare Nirdhan Ke Dhan Ram

प्रबोधन हमारे निर्धन के धन राम चोर न लेत घटत नहिं कबहूँ, आवत गाढ़ैं काम जल नहिं बूड़त, अगिनि न दाहत, है ऐसो हरि नाम वैकुण्ठनाथ सकल सुख दाता, ‘सूरदास’ सुख-धाम

Atulit Bal Ke Dham

महावीर वन्दना अतुलित बल के धाम पवनसुत, तेज प्रताप निधान राम जानकी हृदय बिराजै, संकटहर हनुमान अग्रगण्य ज्ञानी अंजनि-सुत, सद्गुण के हो धाम अजर अमर हो सिद्धि प्रदाता, रामदूत अभिराम कंचन वर्ण आपके वपु का, घुँघराले वर केश हाथों में है वज्र, ध्वजा अरु अति विशिष्ट है वेश गमन आपका मन सदृश है, छोह करे […]

Jiwan Ke Din Bas Char Bache

भक्ति भाव जीवन के दिन बस चार बचे, क्यों व्यर्थ गँवाये जाता है क्यों भक्ति योग का आश्रय ले, कल्याण प्राप्त नहीं करता है अज्ञान तिमिर को दूर करे, भगवान कपिल उपदिष्ट यही माँ देवहूति को प्राप्त वही, जो नहीं सुलभ अन्यत्र कहीं श्रद्धापूर्वक निष्काम भाव से, नित्य कर्म अति उत्तम है प्रतिमा दर्शन,पूजा सेवा, […]

Bhav Ke Bhukhe Prabhu Hain

भाव के भूखे भाव के भूखे प्रभु हैं, भाव ही तो सार है भाव से उनको भजे जो, उसका बेड़ा पार है वस्त्र भूषण या कि धन हो, सबके दाता तो वही अर्पण करें सर्वस्व उनको, भाव तो सच्चा यही भाव से हम पत्र, जल या पुष्प उनको भेंट दे स्वीकारते उसको प्रभु, भव-निधि से […]

Aaj Grah Nand Mahar Ke Badhai

जन्मोत्सव आज गृह नंद महर के बधाई प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद छवि छाई मिलि ब्रज नागरी मंगल गावति, नंद भवन में आई देति असीस, जियो जसुदा-सुत, कोटिन बरस कन्हाई अति आनन्द बढ्यौ गोकुल में, उपमा कही न जाई ‘सूरदास’ छवि नंद की घरनी, देखत नैन सिराई

Hari Aawat Gaini Ke Pache

गो – चारण हरि आवत गाइनि के पाछे मोर-मुकुट मकराकृति कुंडल, नैन बिसाल कमल तैं आछे मुरली अधर धरन सीखत हैं, वनमाला पीताम्बर काछे ग्वाल-बाल सब बरन-बरन के, कोटि मदन की छबि किए पाछे पहुँचे आइ स्याम ब्रजपुर में, धरहिं चले मोहन-बल आछे ‘सूरदास’ प्रभु दोउ जननि मिलिं, लेति बलाइ बोलि मुख बाँछे