Kishori Tere Charanan Ki Raj Pau

श्री श्री राधा महात्म्य किशोरी तेरे चरणन की रज पाऊँ बैठि रहौं कुंजन की कोने, श्याम राधिका गाऊँ जो रज शिव सनकादिक लोचन, सो रज शीश चढाऊँ राधा स्वामिनि की छवि निरखूँ, नित्य विमल यश गाऊँ अद्वितीय सौन्दर्य तुम्हारा, मन-मंदिर बिठलाऊँ 

Ramanuj Lakshman Ki Jay Ho

श्री लक्ष्मण रामानुज लक्ष्मण की जय हो भगवान् राम के भक्तों का, सारे संकट को हरते हो शेषावतार को लिये तुम्ही, पृथ्वी को धारण करते हो हो प्राणनाथ उर्मिला के, सौमित्र तुम्हीं कहलाते हो महान पराक्रमी, सत्-प्रतिज्ञ, रघुवर के काज सँवारते हो मुनि विश्वामित्र, जनक राजा, श्री रामचन्द्र के प्यारे हो अभिमान परशुरामजी का जो […]

Aarti Karen Bhagwat Ji Ki

श्रीमद्भागवत आरती आरती करें भागवतजी की, पंचम वेद से महा पुराण की लीलाएँ हरि अवतारों की, परम ब्रह्म भगवान कृष्ण की कृष्ण वाङ्मय विग्रह रूप, चरित भागवत अमृत पीलो श्रवण करो तरलो भव-कूपा, हरि गुण गान हृदय से कर लो कथा शुकामृत मन को भाये, शुद्ध ज्ञान वैराग्य समाये लीला रसमय प्रेम जगाये, भक्ति भाव […]

Ankhiyan Hari Darsan Ki Pyasi

वियोग अँखिया हरि दरसन की प्यासी देख्यो चाहत कमलनैन को, निसिदिन रहत उदासी आयो ऊधौ फिरि गये आँगन, डारि गये गल फाँसी केसरि तिलक मोतिन की माला, वृन्दावन को वासी काहु के मनकी कोउ न जानत, लोगन के मन हाँसी ‘सूरदास’ प्रभु तुमरे दरस बिन, लेहौं करवत कासी

Hari Tum Haro Jan Ki Pir

पीड़ा हरलो हरि तुम हरो जन की भीर द्रौपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर भक्त कारन रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर हरिणकस्यप मारि लीन्हौं, धर्यो नाहिं न धीर बूड़तो गजराज राख्यौ, कियो बाहर नीर दासी ‘मीराँ’ लाल गिरिधर, हरो म्हारी पीर

Chaitanya Maha Prabhu Ki Jay Jay

चैतन्य महाप्रभु चैतन्य महाप्रभु की जय जय, जो भक्ति भाव रस बरसाये वे विष्णुप्रिया के प्राणनाथ, इस धरा धाम पर जो आये वे शचीपुत्र गौरांग देव प्रकटे, सबके मन हर्षाये हे देह कान्ति श्री राधा सी, जो भक्तों के मन को भाये रस के सागर चैतन्य देव, श्री गौर चन्द्र वे कहलाये आसक्ति शून्य वह […]

Vrandavan Ki Mahima Apaar

वृन्दावन महिमा वृन्दावन की महिमा अपार, ऋषि मुनि देव सब गाते हैं यहाँ फल फूलों से लदे वृक्ष, है विपुल वनस्पति और घास यह गोप गोपियों गौओं का प्यारा नैसर्गिक सुख निवास अपने मुख से श्रीकृष्ण यहाँ, बंशी में भरते मीठा स्वर तो देव देवियाँ नर नारी, आलाप सुनें तन्मय होकर सब गोपीजन को संग […]

Aarti Shri Bhagwad Gita Ki

श्रीमद्भगवद्गीता आरती आरती श्री भगवद्गीता की, श्री हरि-मुख निःसृत विद्या की पृथा-पुत्र को हेतु बनाकर, योगेश्वर उपदेश सुनाये अनासक्ति अरु कर्म-कुशलता, भक्ति, ज्ञान का पाठ पढ़ाये करें कर्म-फल प्रभु को अर्पण, राग-द्वेष मद मोह नसाये वेद उपनिषद् का उत्तम रस, साधु-संत-जन के मन भाये करें सार्थक मानव जीवन, भव-बंधन, अज्ञान मिटायें अद्भुत, गुह्य, पूजनीय गाथा, […]

Udho Karaman Ki Gati Nyari

कर्म की गति ऊधौ करमन की गति न्यारी सब नदियाँ जल भरि-भरि रहियाँ, सागर केहि विधि खारी उज्जवल पंख दिये बगुला को, कोयल केहि गुन कारी सुन्दर नयन मृगा को दीन्हें, वन वन फिरत उजारी मूरख को है राजा कीन्हों, पंडित फिरत भिखारी ‘सूर’ श्याम मिलने की आशा, छिन छिन बीतत भारी

Tan Ki Dhan Ki Kon Badhai

अन्त काल तन की धन की कौन बड़ाई, देखत नैनों में माटी मिलाई अपने खातिर महल बनाया, आपहि जाकर जंगल सोया हाड़ जले जैसे लकरि की मोली, बाल जले जैसे घास की पोली कहत ‘ कबीर’ सुनो मेरे गुनिया, आप मरे पिछे डूबी रे दुनिया