Vilag Na Mano Udho Pyare

साँवरिया श्याम विलग न मानों ऊधो प्यारे वह मथुरा काजर की कोठरि जे आवत ते कारे तुम कारे सुफलत सुत कारे, कारे मधुप भँवारे कमलनयन की कौन चलावै, साबहिनि ते अनियारे तातें स्याम भई कालिन्दी, ‘सूर’ स्याम गुन न्यारे

Mano Mano Nand Ji Ke Lal

होली मानो मानो नंदजी के लाल चूनर, चोली भिगा दी सारी, डारो न और गुलाल जमुना से जल भर मैं आई, तब भी करी ढिठाई दौड़ के मोरी गगरी गिराई, कैसो कर दियो हाल गीली चुनरिया सास लड़ेगी, ननँद साथ नहीं देगी काहू भाँति नहीं बात बनेगी, नटखट करी कुचाल नंदकुँवर खेली जो होरी, करी […]