Mamta Tu N Gai Mere Man Te

वृद्ध अवस्था ममता तू न गई मेरे मन तें पाके केस जनम के साथी, लाज गई लोकन तें तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैनन तें श्रवण वचन न सुनत काहू के, बल गये सब इन्द्रिन तें टूटे दाँत वचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें भाई बंधु सब परम पियारे, नारि निकारत घर […]

Dou Sut Gokul Nayak Mere

वियोग दोउ सुत गोकुल नायक मेरे काहे नंद छाँड़ि तुम आये, प्रान जीवन सबके रे तिनके जात बहुत दुख पायो, शोक भयो ब्रज में रे गोसुत गाय फिरत चहूँ दिसि में, करे चरित नहिं थोरे प्रीति न करी राम दसरथ की, प्रान तजे बिन हेरे ‘सूर’ नन्द सों कहति जसोदा, प्रबल पाप सब मेरे

Baso Mere Nenan Me Yah Jori

राधा कृष्ण माधुर्य बसौ मेरे नैनन में यह जोरी सुन्दर श्याम कमल – दल – लोचन, सँग वृषभानु किशोरी मोर-मुकुट मकराकृति कुण्डल, पीताम्बर झकझोरी ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे दरस को, कहा बरनौं मति थोरी

Mere Nayan Nirakhi Sachu Pawe

रूप माधुरी मेरे नयन निरखि सचु पावै बलि बलि जाऊँ मुखारविंद पै, बन ते पुनि ब्रज आवै गुंजाफल वनमाल मुकुटमनि, बेनु रसाल बजावे कोटि किरन मुख तें जो प्रकाशित, शशि की प्रभा लजावै नटवर रूप अनूप छबीलो, सबही के मन भावै ‘सूरदास’ प्रभु पवन मंदगति, विरहिन ताप नसावै

Baso Mere Nainan Me Nandlal

मोहिनी मूर्ति बसो मोरे नैनन में नंदलाल मोहनी मूरति, साँवरी सूरति, नैणा बने बिसाल अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती माल छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल ‘मीराँ’ प्रभु संतन सुखदाई, भगत-बछल गोपाल

Mere To Giridhar Gopal

गिरिधर गोपाल मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई जाके सिर मोर –मुकुट, मेरो पति सोई छाँड़ि दई कुल की कानि, कहा करि है कोई संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक लाज खोई अँसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेली बोई अब तो बेल फैल गई, आनँद फल होई दही की मथनिया, बड़े प्रेम से बिलोई माखन सब काढ़ि लियो, […]

Mere Ghar Aao Sundar Shyam

विरह व्यथा मेरे घर आवो सुन्दर श्याम तुम आया बिन सुख नहीं मेरे, पीरी परी जैसे पान मेरे आसा और न स्वामी, एक तिहारो ही ध्यान ‘मीराँ’ के प्रभु वेग मिलो अब, राखोजी मेरो मान

Hari Mere Jivan Pran Adhar

प्राणाधार हरि मेरे जीवन प्राण अधार और आसरो है नहीं तुम बिन, तीनूँ लोक मँझार आप बिना मोहि कछु न सुहावै, निरख्यौ सब संसार ‘मीराँ’ कहे मैं दासि रावरी, दीज्यौ मती बिसार

Pritam Aaye Pritam Aaye Aaj Mere Ghar Pritam Aaye

हरि दर्शन प्रीतम आए प्रीतम आये, आज मेरे घर प्रीतम आये रहत रहत मैं अँगना बुहारूँ, मोतियाँ माँग भराऊँ, भराऊँ चरण पखार देख सुख पाऊँ, सब साधन बरसाऊँ पाँच सखी मिल मंगल गाये, राग सरस मैं गाऊँ करूँ आरती, प्रेम निछावर, पल-पल मैं बलि जाऊँ कहे ‘कबीर’ धन भाग हमारा, परम पुरुष वर पाऊँ

Sajanwa Nainan Mere Tumhari Aur

हरि दर्शन सजनवा नैनन मेरे तुमरी ओर विरह कमण्डल हाथ लिये हैं, वैरागी दो नैन दरस लालसा लाभ मिले तो, छके रहे दिन रैन विरह भुजंगम डस गया तन को, मन्तर माने न सीख फिर-फिर माँगत ‘कबीर’ है, तुम दरशन की भीख