Aali Mhane Lage Vrindawan Niko

वृन्दावन आली! म्हाँने लागे वृन्दावन नीको घर घर तुलसी ठाकुर पूजा, दरसण गोविन्दजी को निरमल नीर बहे जमना को, भोजन दूध दही को रतन सिंघासण आप बिराजे, मुगट धरै तुलसी को कुंजन कुंजन फिरै राधिका, सबद सुणै मुरली को ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, भजन बिना नर फीको

Daras Mhane Bega Dijyo Ji

विरह व्यथा दरस म्हाने बेगा दीज्यो जी, खबर म्हारी बेगी लीज्यो जी आप बिना मोहे कल न पड़त है, म्हारा में गुण एक नहीं है जी तड़पत हूँ दिन रात प्रभुजी, सगला दोष भुला दिज्यो जी भगत-बछल थारों बिरद कहावे, श्याम मोपे किरपा करज्यो जी मीराँ के प्रभु गिरिधर नागर, आज म्हारी लाज राखिज्यो जी

Mhane Chakar Rakho Ji

चाकर राखो म्हाने चाकर राखोजी, गिरधारी म्हाने चाकर राखोजी चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ, नित उठ दरसण पास्यूँ वृन्दावन की कुंज गलिन में, थारी लीला गास्यूँ चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमिरण पाऊँ खरची भाव भगति जागीरी पास्यूँ, तीनूँ बाताँ सरसी मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, गल बैजन्ती माला वृन्दावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला हरे-हरे नित […]