Kahe Ko Tan Manjta Re Mati Main Mil Jana Hai

सत्संग महिमा काहे को तन माँजता रे, माटी में मिल जाना है एक दिन दूल्हा साथ बराती, बाजत ढोल निसाना है एक दिन तो स्मशान में सोना, सीधे पग हो जाना है सत्संगत अब से ही करले, नाहिं तो फिर पछताना है कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, प्रभु का ध्यान लगाना है

Om Ke Gayen Sab Mil Geet

ॐ वन्दना ॐ के गायें सब मिल गीत सकल सृष्टि आधार प्रणव है, धर्म कर्म का सार यही है कण-कण इसमें, यह कण कण में, निराकार साकार यही है सच्चिदानंदघन भी ये ही है, वेदों का भी जनक यही है गायें गीत ॐ के जो जन, मन वांछित फल पाता है जन्म मरण चक्कर से […]