Govind Kabahu Mile Piya Mera

विरह व्यथा गोविन्द कबहुँ मिले पिया मेरा चरण कँवल को हँस-हँस देखूँ, राखूँ नैणा नेरा निरखण को मोहि चाव घणेरो, कब देखूँ मुख तेरा व्याकुल प्राण धरत नहीं धीरज, तुम सो प्रेम घनेरा ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ताप तपन बहुतेरा

Chalo Ri Mile Natwar Nand Kishor

श्री राधा कृष्ण चलोरी, मिले नटवर नंदकिशोर श्रीराधा के सँग विहरत है सघन कुंज चितचोर तैसिय छटा घुमड़ि चहुँ दिसि तें, गरजत है घनघोर बिजुरी चमक रही अंबर में, पवन चलत अति जोर पीत-वसन में श्याम, राधिका नील-वसन तन गोर सदा विहार करो ‘परमानँद’, बसो युगल मन मोर

Nishkam Karma Se Shanti Mile

निष्काम कर्म निष्काम कर्म से शान्ति मिले जीवन में चाहों के कारण, केवल अशांति मन छायेगी सुख शांति सुलभ निश्चित, संतृप्ति भाव मन में होगी सम्मान प्राप्ति का भाव रहे, तो कुण्ठाएँ पैदा होगी संयम बरते इच्छाओं पर, मन में न निराशा तब होगी स्वाभाविक जो भी कर्म करें, फल की इच्छा न रखें मन […]