Mere Nayan Nirakhi Sachu Pawe

रूप माधुरी मेरे नयन निरखि सचु पावै बलि बलि जाऊँ मुखारविंद पै, बन ते पुनि ब्रज आवै गुंजाफल वनमाल मुकुटमनि, बेनु रसाल बजावे कोटि किरन मुख तें जो प्रकाशित, शशि की प्रभा लजावै नटवर रूप अनूप छबीलो, सबही के मन भावै ‘सूरदास’ प्रभु पवन मंदगति, विरहिन ताप नसावै

Mero Man Anat Kahan Sukh Pawe

अद्वितीय प्रेम मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै जैसे उड़ि जहाज को पंछी, फिरि जहाज पर आवै कमल नैन को छाड़ि महातम और दैव को ध्यावै परम गंग को छाड़ि पियासों, दुर्मति कूप खनावै जिहिं मधुकर अंबुज रस चाख्यौ, क्यों करील-फल खावै ‘सूरदास’ प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै