Sundar Shyam Piya Ki Jori

राधा-कृष्ण माधुरी सुन्दर स्याम पिया की जोरी रोम रोम सुंदरता निरखत, आनँद उमँग बह्योरी वे मधुकर ए कुंज कली, वे चतुर एहू नहिं भोरी प्रीति परस्पर करि दोउ सुख, बात जतन की जोरी वृंदावन वे, सिसु तमाल ए, कनक लता सी गोरी ‘सूर’ किसोर नवल नागर ए, नागरि नवल-किसोरी

Govind Kabahu Mile Piya Mera

विरह व्यथा गोविन्द कबहुँ मिले पिया मेरा चरण कँवल को हँस-हँस देखूँ, राखूँ नैणा नेरा निरखण को मोहि चाव घणेरो, कब देखूँ मुख तेरा व्याकुल प्राण धरत नहीं धीरज, तुम सो प्रेम घनेरा ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ताप तपन बहुतेरा

Jo Tum Todo Piya Main Nahi Todu Re

अटूट प्रीति जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाहीं तोड़ूँ तोरी प्रीत तोड़ के मोहन, कौन संग जोड़ूँ तुम भये तरुवर मैं भई पँखियाँ, तुम भये सरवर मैं भई मछियाँ तुम भये गिरिवर मैं भई चारा, तुम भये चन्दा, मैं भई चकोरा तुम भये मोती प्रभु, मैं भई धागा, तुम भये सोना, मैं भई सुहागा ‘मीराँ’ […]

Piya Itani Vinati Suno Mori

शरणागति पिया इतनी विनती सुनो मोरी औरन सूँ रस-बतियाँ करत हो, हम से रहे चित चोरी तुम बिन मेरे और न कोई, मैं सरणागत तोरी आवण कह गए अजहूँ न आये, दिवस रहे अब थोरी ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, अरज करूँ कर जोरी

Piya Bin Rahyo Na Jay

विरह व्यथा पिया बिन रह्यो न जाय तन-मन मेरो पिया पर वारूँ, बार-बार बलि जाय निस दिन जोऊँ बाट पिया की, कब रे मिलोगे आय ‘मीराँ’ को प्रभु आस तुम्हारी, लीज्यो कण्ठ लगाय

Piya Bin Suno Che Ji Mharo Des

विरह व्यथा पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस