Shyam Kahat Puja Giri Mani

अन्नकूट श्याम कहत पूजा गिरि मानी जो तुम भाव-भक्ति सों अरप्यो, देवराज सब जानी तुम देखत भोजन सब कीनो, अब तुम मोहि प्रत्याने बड़ो देव गिरिराज गोवर्धन, इनहि रहो तुम माने सेवा भली करी तुम मेरी, देव कही यह बानी ‘सूर’ नंद मुख चुंबत हरि को, यह पूजा तुम ठानी

Chahe Puja Path Stavan Ho

कर्तव्य निष्ठा चाहे पूजा पाठ स्तवन हो, सब नित्य कर्म के जैसा ही मन में श्रद्धा तन्मयता हो, तब उपादेय होता वोही हम आँखे खोल तनिक देखें, कुछ भला कार्य क्या कर पाये बस माया मोह में फँसे रहे, दिन रात यूँ ही बीता जाये पूजन में जो नहीं बसे देव तो उसे छोड़ कर […]