Rishi Muni Sab Dev Pukar Rahe

परब्रह्म श्रीकृष्ण ऋषि मुनि सब देव पुकार रहे, श्रीकृष्ण हरे गोविन्द हरे उन विश्वंद्य का संकीर्तन हो आर्तवाणि से दु:ख टरे असुरों के अत्याचारों से, हो रहा घना था धर्म-नाश सब देव गये गोलोक धाम, जो है प्रसिद्ध श्रीकृष्ण-वास इक दृश्य अलौकिक वहाँ देख, आश्चर्य चकित सब देव हुए नारायण, नरसिंह, राम, हरि, श्री कृष्ण-तेज […]

Gayon Ke Hit Ka Rahe Dhyan

गो माता गायों के हित का रहे ध्यान गो-मांस करे जो भी सेवन, निर्लज्ज व्यक्ति पापों की खान गौ माँ की सेवा पुण्य बड़ा, भवनिधि से करदे हमें पार वेदों ने जिनका किया गान, शास्त्र पुराण कहे बार-बार गौ-माता माँ के ही सदृश, वे दु:खी पर हम चुप रहते माँ की सेवा हो तन मन […]

Chal Rahe Bakaiyan Manmohan

बालकृष्ण चल रहे बकैयाँ मनमोहन, सन गये धूल में जो सोहन जब नहीं दिखी मैया उनको किलकारी मारे बार बार माँ निकट रसोईघर में थी, गोदी में लेकर किया प्यार आँचल से अंगों को पोछा और दूध पिलाने लगी उन्हें क्षीरोदधि में जो शयन करें, विश्वम्भर कहते शास्त्र जिन्हें

Ja Rahe Pran Dhan Mathura Ko

मथुरा प्रवास जा रहे प्राणधन मथुरा को राधा रानी हो रही व्यथित, सूझे कुछ भी नहीं उनको अंग अंग हो रहे शिथिल, और नीर भरा नयनों में आर्त देख राधा को प्रियतम, स्वयं दुःखी है मन में प्रिया और प्यारे दोनों की, व्याकुल स्थिति ऐसी दिव्य प्रेम रस की यह महिमा, उपमा कहीं न वैसी […]

Jo Rahe Badalta Jagat Vahi

परिवर्ती जगत् जो रहे बदलता जगत वही रह सकता इक सा कभी न ये, जो समझे शांति भी मिले यहीं जो चाहे कि यह नहीं बदले, उन लोगों को रोना पड़ता हम नहीं हटेगें कैसे भी, विपदा में निश्चित वह फँसता जो अपने मन में धार लिया,हम डटे रहेंगे उस पर ही वे भूल गये […]

Jo Rahe Vasna Ant Samay

नाम स्मरण जो रहे वासना अन्त समय, वैसी ही गति को प्राप्त करे श्रीराम कृष्ण को स्मरण करे, सद्बुद्धि वही प्रदान करे सम्बन्धी कोई पैदा हो या मर जाये, निर्लिप्त रहें गोपीजन का श्रीकृष्ण प्रेम आदर्श हमारा यही रहे कन्या ससुराल में जाती है, मैके से दूर तभी होये जो प्रभु से लौ लग जाये […]

Nirbal Ke Pran Pukar Rahe Jagdish Hare

जगदीश स्तवन निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे साँसों के स्वर झंकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे आकाश हिमालय सागर में, पृथ्वी पाताल चराचर में ये शब्द मधुर गुंजार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे जब दयादृष्टि हो जाती है, जलती खेती हरियाती है इस आस पे जन उच्चार रहे, जगदीश हरे जगदीश […]