Soi Rasna Jo Hari Gun Gawe

हरि भक्ति सोइ रसना जो हरि गुन गावै नैनन की छबि यहै चतुरता, जो मुकुन्द-मकरन्दहिं ध्यावै निरमल चित तो सोई साँचो, कृष्ण बिना जिहिं और न भावै श्रवननि की जु यहै अधिकाई, सुनि हरि-कथा सुधारस पावै कर तेई जो स्यामहिं सैवै, चरननि चलि वृन्दावन जावै ‘सूरदास’ जैयै बलि ताके, जों हरि जू सों प्रीति बढ़ावै

Rasna Kyon Na Ram Ras Piti

राम रसपान रसना क्यों न राम रस पीती षट-रस भोजन पान करेगी, फिर रीती की रीती अजहूँ छोड़ कुबान आपनी, जो बीती सो बीती वा दिन की तू सुधि बिसराई, जा दिन बात कहीती जब यमराज द्वार आ अड़िहैं, खुलिहै तब करतूती ‘रूपकुँवरि’ मन मान सिखावन, भगवत् सन कर प्रीती