He Govind He Gopal He Govind Rakho Sharan

शरणागति हे गोविन्द, हे गोपाल, हे गोविन्द राखो शरण अब तो जीवन हारे, हे गोविन्द, हे गोपाल नीर पिवन हेतु गयो, सिन्धु के किनारे सिन्धु बीच बसत ग्राह, चरन धरि पछारे चार प्रहर युद्ध भयो, ले गयो मझधारे नाक कान डूबन लागे, कृष्ण को पुकारे द्वारका में शब्द गयो, शोर भयो भारे शंख-चक्र, गदा-पद्म, गरूड़ […]

Nath Tav Charan Sharan Main Aayo

शरणागति नाथ तव चरण शरन में आयो अब तक भटक्यो भव सागर में, माया मोह भुलायो कर्म फलनि की भोगत भोगत, कईं योनिनि भटकायो पेट भयो कूकर सूकर सम, प्रभु-पद मन न लगायो भई न शान्ति, न हिय सुख पायो, जीवन व्यर्थ गँवायो ‘प्रभु’ परमेश्वर पतति उधारन, शरनागत अपनायो

Aaya Sharan Tumhari Prabhu Ji

शरणागति आया शरण तुम्हारी प्रभुजी, रखिये लाज हमारी कनकशिपु ने दिया कष्ट, प्रह्ललाद भक्त को भारी किया दैत्य का अंत तुम्हीं ने, भक्तों के हितकारी ग्रस्त हुआ गजराज ग्राह से, स्तुति करी तुम्हारी आर्तस्तव सुन मुक्त किया, गज को तुमने बनवारी पांचाली की लगा खींचने, जब दुःशासन सारी किया प्रवेश चीर में उसके, होने दी […]