Suni Sundar Ben Sudharas Sane

सुभाषित सुनि सुन्दर बैन सुधारस-साने, सयानी है जानकी जानी भली तिरछे करि नैन दै सैन तिन्हैं, समुझाई कछु मुसुकाई चली ‘तुलसी’ तेहि अवसर सोहैं सबै, अवलोकति लोचन-लाहु अली अनुराग-तड़ाग में भानु उदै, बिगसी मनी मंजुल कंज-कली