Suni Sundar Ben Sudharas Sane

सुभाषित सुनि सुन्दर बैन सुधारस-साने, सयानी है जानकी जानी भली तिरछे करि नैन दै सैन तिन्हैं, समुझाई कछु मुसुकाई चली ‘तुलसी’ तेहि अवसर सोहैं सबै, अवलोकति लोचन-लाहु अली अनुराग-तड़ाग में भानु उदै, बिगसी मनी मंजुल कंज-कली

Ho Ik Nai Bat Suni Aai

श्री राधा प्राकट्य हौं इक नई बात सुनि आई कीरति रानी कुँवरी जाई, घर-घर बजत बधाई द्वारे भीर गोप-गोपिन की, महिमा बरनि न जाई अति आनंद होत बरसाने, रतन-भूमि निधि छाई नाचत तरुन वृद्ध अरु बालक, गोरस-कीच मचाई ‘सूरदास’ स्वामिनि सुखदायिनि, मोहन-सुख हित आई

Suni Main Hari Aawan Ki

प्रतीक्षा सुनी मैं हरि आवन की अवाज महल चढ़ि चढ़ि देखूँ मोरी सजनी, कब आवे महाराज दादुर मोर पपीहा बोलै, कोयल मधुरे साज उमग्यो बदरा चहुँ दिस बरसे, दामिनि छोड़ी लाज धरती रूप नवा नवा धरिया, इंद्र मिलन के काज ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बेग मिलो महाराज

Nek Thaharija Shyam Bat Ek Suni Ja Mori

राधा के श्याम नेंक ठहरि जा श्याम! बात एक सुनि जा मेरी दौर्यो जावै कहाँ, दीठि चंचल अति तोरी ब्रज में मच्यो चवाउ, बात फैली घर-घर में कीरति रानी लली धँसी है, तेरे उर में निज नयननि निरख्यो न कछु, सुन्यो सुनायो ही कह्यो गोरी भोरी छोहरी, को चेरो तू बनि गयो