Kahiyo Syam So Samjhai

श्याम की याद कहियौ स्याम सौ समझाइ वह नातौ नहि मानत मोहन, मनौ तुम्हारी धाइ बारहिं बार एकलौ लागी, गहे पथिक के पाँइ ‘सूरदास’ या जननी को जिय, राखै बदन दिखाइ

Nirkhi Syam Haldhar Musukane

यमलार्जुन उद्धार निरखि स्याम हलधर मुसुकाने को बाँधै, को छोरै इन कौं, यह महिमा येई पै जाने उत्पति, प्रलय करत हैं जेई, सेष सहस मुख सुजस बखाने जमलार्जुन –तरु तोरि उधारन, पारन करन आपु मन माने असुर सँहारन, भक्तनि तारन, पावन पतित कहावत बाने ‘सूरदास’ प्रभु भाव-भक्ति के, अति हित जसुमति हाथ बिकाने

Nainan Nirkhi Syam Swarup

विराट स्वरूप नैनन निरखि स्याम-स्वरूप रह्यौ घट-घट व्यापि सोई, जोति-रूप अनूप चरन सातों लोक जाके, सीस है आकास सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र, पावक, ‘सूर’ तासु प्रकास

Palna Syam Jhulavati Janani

पलना पलना स्याम झुलावति जननी अति अनुराग ह्रदय में, गावति, प्रफुलित मगन होति नँद घरनी उमँगि- उमँगि प्रभु भुजा पसारत, हरषि जसोमति अंकम भरनी ‘सूरदास’ प्रभु मुदित जसोदा, पूरन भई पुरातन करनी

Bichure Syam Bahut Dukh Payo

बिछोह बिछुरे स्याम बहुत दुख पायौ दिन-दिन पीर होति अति गाढ़ी, पल-पल बरष बिहायौ व्याकुल भई सकल ब्रज-वनिता, नैक संदेस न पायो ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे मिलन कौ, नैनन अति झर लायौ