Shyam Bina Unaye Ye Badara

विरह व्यथा स्याम बिना उनये ये बदरा आज श्याम सपने में देखे, भरि आए नैन ढुरक गयो कजरा चंचल चपल अतिही चित-चोरा, निसि जागत मैका भयो पगोरा ‘सूरदास’ प्रभु कबहि मिलोगे, तजि गये गोकुल मिटि गयो झगरा