Piya Itani Vinati Suno Mori

शरणागति पिया इतनी विनती सुनो मोरी औरन सूँ रस-बतियाँ करत हो, हम से रहे चित चोरी तुम बिन मेरे और न कोई, मैं सरणागत तोरी आवण कह गए अजहूँ न आये, दिवस रहे अब थोरी ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, अरज करूँ कर जोरी

Vinati Suno Shyam Meri

विरह व्यथा विनती सुनो श्याम मेरी, मैं तो हो गई थारी चेरी दरसन कारण भई बावरी, विरह व्यथा तन घेरी तेरे कारण जोगण हूँगी, करूँ नगर बिच फेरी अंग गले मृगछाला ओढूँ, यो तन भसम करूँगी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, वन-वन बीच फिरूँगी

Main Karu Vinati Maa Durga

दुर्गा देवी स्तुति मैं करूँ विनती माँ दुर्गा, दुर्गति हारिणी महाकाल सर्वांग सुन्दरी ज्योतिर्मय, कस्तुरी केसर-तिलक भाल मुस्कान अधर पे मंद-मंद, आभूषण शोभित रत्न माल मस्तक पर मंडित अर्ध चन्द्र, माँ के वैभव का नहीं पार सावित्री, सन्ध्या, महादेव, हरिअज वन्दित महिमा अपार सौभाग्यदायिनी जग-जननी, माँ राग द्वेष अभिमान हरो हो न्यौछावर जो भी मेरा, […]