Udho Hamen Na Shyam Viyog

प्रीति की रीति ऊधौ! हमें न श्याम वियोग सदा हृदय में वे ही बसते, अनुपम यह संजोग बाहर भीतर नित्य यहाँ, मनमोहन ही तो छाये बिन सानिध्य श्याम के हम को, कुछ भी नहीं सुहाये तन में, मन में, इस जीवन में, केवल श्याम समाये पल भर भी विलग नहीं वे होते, हमें रोष क्यों […]