Udho Vo Sanwari Chavi Ne

विरथ व्यथा उधो वो साँवरी छवि ने, हमारा दिल चुराया है बजाकर बाँसुरी मीठी, सुनाकर गीत गोविन्द ने रचाकर रास कुंजन में, प्रेम हमको लगाया है छोड़ कर के हमें रोती, बसे वो मधुपुरी जाकर खबर भी ली नहीं फिर के, हमें दिल से भुलाया है हमारा हाल जाकर के, सुनाना श्यामसुन्दर को वो ‘ब्रह्मानन्द’ […]