हृदय की तपन
आओ आओ श्याम, हृदय की तपन बुझाओ
चरण कमल हिय धरो, शोक संताप नसाओ
यों कहि रोई फूटि-फूटि के, गोपी सस्वर
रहि न सके तब श्याम भये, प्रकटित तहँ सत्वर
मदन मनोहर वेष तैं, मनमथ के मनकूँ करत
प्रकटे प्रभु तिन मध्य में, शोक मोह हियको हरत

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