वृन्दावन
धामअद्भुत श्री वृन्दावन धाम
यमुनाजी की धारा बहती, केलि राधिका श्याम
मुरली की ध्वनि मधुर गूँजती और नाचते मोर
इकटक निरख रहे पशु पक्षी, नटवर नन्द-किशोर
बंशी स्वर, मयूर नृत्य में, स्पर्धा रुचिकारी
पाँख मोर की निकल पड़ी, तो मोहन सिर पर धारी
राधारानी के मयूर की, भेंट मिली कान्हा को
इसीलिये सहर्ष श्याम ने, स्वीकारी है इसको

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