बाजे बाजे मुरलिया बाजे
वृन्दावन में तरू कदम्ब तल, राधे श्याम बिराजे
अद्भुत शोभा दिव्य युगल की, कोटि काम रति लाजें
नटवर वेष घण्यो साँवरिया, बाँस की बनी बँसुरिया,
बंशी धुनि सुनि भगन सबहिजन, प्रीति रीति रस जागे
कनक मुद्रिका अँगुरी सोहे, मोर मुकुट माथे पे सोहे,
गोपी ग्वाल मुदित मन बिहसें सकल गोरी लाजे
पीत वसन में राधा गोरी, निरख श्याम सुर साधे,
बंशी की धुन में सुर निकस्यो, जय जय राधे राधे
माया रूप श्याम की बंशी जो कि सकल सृष्टि की अंशी,
ऐसी मुरली श्याम बजाई तीन लोक रस पागे

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