नाम जप
चाहता जो परम सुख तूँ, जाप कर हरिनाम का
परम पावन परम सुन्दर, परम मंगल धाम का
हैं सभी पातक पुराने, घास सूखे के समान
भस्म करने को उन्हें, हरि नाम है पावक महान
जाप करते जो चतुर नर, सावधानी से सदा
वे न बँधते भूलकर, यम-पाश दारुण में कदा
साथ मिलकर प्रेम से, हरिनाम करते गान वो
मुक्त होते मोह से, कर प्रेम-अमृत-पान वो

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