मनोनिग्रह
चंचल मन को वश में करना
दृढ़ता से साधन अपनायें, पूरा हो यह सपना
भोगों में दुख दोष को देखें, तृष्णा मन की त्यागें
भाव रहे समता परहित का, राग द्वेष सब भागें
प्रभु के यश का करें कीर्तन, ध्यान मानसिक पूजा
शरणागत हो चरण-कमल में, भाव रहे नहीं दूजा
प्राणायाम करें नियम से, सद्ग्रन्थों को पढ़ना
साँस साँस की गति के संग में, प्रभु-नाम को जपना
हो विरक्त अभ्यास के द्वारा, जीत लिया जग जिसने
रहा न करना अब कुछ उसको, हरि को पाया उसने 

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