Chod Jhamela Jhuthe Jag Ka Kah Gaye Das Kabir

मिथ्या संसार
छोड़ झमेला झूठे जग का, कह गये दास कबीर
उड़ जायेगा साँस का पंछी, शाश्वत नहीं शरीर
तुलसीदास के सीता राघव उनसे मन कर प्रीति
रामचरित से सीख रे मनवा, मर्यादा की रीति
बालकृष्ण की लीलाओं का धरो हृदय में ध्यान
सूरदास से भक्ति उमड़े करो उन्हीं का गान
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर करो उन्हीं से छोह
कृष्ण मिलन का भाव रहे मन छोड़ जगत का मोह

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