धन्य नन्द-यशोदा
धन्य नन्द, धनि जसुमति रानी
धन्य ग्वाल गोपी जु खिलाए, गोदहि सारंगपानी
धन्य व्रजभूमि धन्य वृन्दावन, जहँ अविनासी आए
धनि धनि ‘सूर’ आह हमहूँ जो, तुम सब देख न पाए

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