दशावतार
ध्वस्त किया हयग्रीव दैत्य और वेदों का भी उद्धार
मत्सत्य रूप धार्यो नारायण, जय जगदीश हरे
पृथ्वी को जल पर स्थिर की, हिरण्याक्ष को मारा
शूकर रूप धर्यो नारायण, जय जगदीश हरे
हिरण्यकाशीपु का नाश हुआ, भक्त प्रहलाद की रक्षा की
नरसिंह रूप धर्यो नारायण, जय जगदीश हरे
अमृत से वंचित हुए असुर देवों को पान कराया
मोहिनी रूप धर्यो नारायण, जय जगदीश हरे
तीन लोक को लियो नाप, बलि-कुल को कियो पवित्र
वामन रूप धर्यो नारायण, जय जगदीश हरे
क्षत्रिय कुल का नाश किया, सभी का जीवन सुखी हुआ
भृगुपति रूप धर्यो नारायण, जय जगदीश हरे
समर शमित दशकंठ, साधु-संतों का दु:ख हरा
राम रूप धार्यो नारायण, जय जगदीश हरे
खींचा यमुनाजी को हल से अरू कृतकृत्य किया
हलधर रूप धर्यो नारायण, जय जगदीश हरे
यज्ञों में जीवों की हिंसा, को नहीं मान्य किया
बुद्ध रूप धार्यो नारायण, जय जगदीश हरे
म्लेच्छों का संहार करें, सुख शांति प्रतिष्ठा हो
कल्कि रूप धरें नारायण, जय जगदीश हरे
श्री कृष्ण नारायण विष्णु एक अभिन्न स्वरूप
सुमिरन करे पार हो भव से, जय जगदीश हरे 

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