झूलना
हिंडोले झूलहिं नवल-किसोर
कहा कहों यह सुषमा सजनी! वारिय काम करोर
वरन-वरन के वसन सखिन के, पवन चलत झकझोर
सावन के मनभावन बादर, गड़गड़ाहिं घनघोर
गावहिं सावन गीत मनोहर, भये जुगल रस भोर
या रस के वश भये चराचर, जाको ओर न छोर

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