यशोदा का भाग्य
जसोदा तेरो भाग्य कह्यो ना जाय
जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ, सो ही प्रगटी आय
शिव, नारद, सनकादिक, महामुनि मिलवे करत उपाय
जे नंदलाल धूरि धूसर वपु, रहत कंठ लपटाय
रतन जटित पौढ़ाय पालने, वदन देखि मुसकाय
बलिहारी मैं जाऊँ लाल पे, ‘परमानंद’ जस गाय

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