गौचारण लीला
कहे कन्हैया बड़ा हो गया, सुन जसुमति हर्षाये
नेह नीर भर के नयनों में, लाला को समझाये
नटखट बालकृष्ण नहीं माने, नन्दराय मुसकाये
करा कलेवा ग्वाल-बाल सँग, वन को लाल पठाये
लिये लकुटिया हाथ, कामरी कंधे पर लटकाये
मोर-मुकुट सिर सोहे, कटि में पीत वसन लहराये
पावन अधिक आज वृन्दावन, मुरली मधुर सुनाये
सन्ध्या समय देर से लौटे, तब मैया अकुलाये
पचरंगी माला, मुख पे रज, ब्रज निहाल हो जाये

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *