नाम-महिमा
करहुँ प्रभु भवसागर से पार
कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार
गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार
हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार
‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार 

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