राधा कृष्ण लीला
खेलन के मिस कुँवरि राधिका, नंदमहर के आई
सकुच सहित मधुरे करि बोली, घर हैं कुँवर कन्हाई ?
सुनत श्याम कोकिल सम बानी, निकसे अति अतुराई
माता सों कछु करत कलह हरि, सो डारी बिसराई
मैया री, तू इन को चीन्हति, बारम्बार बताई
जमुना-तीर काल्हि मैं भूल्यो, बाँह पकरि लै आई
आवत यहाँ तोहि सकुचित है, मैं दै सोंह बुलाई
‘सूर’ श्याम ऐसे गुन-आगर , नागरि बहुत रिझाई

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