श्रीकृष्ण प्राकट्य
कृष्ण घर नंद के आये, बधाई है बधाई है
करो सब प्रेम से दर्शन, बधाई है बधाई है
भाद्र की अष्टमी पावन में प्रगटे श्याम मनमोहन
सुखों की राशि है पाई, बधाई है बधाई है
मुदित सब बाल, नर-नारी, चले ले भेंट हाथों में
देख शोभा अधिक हर्षित, बधाई है बधाई है
कृष्ण हैं गोद जननी के, खिल उठे हृदय पंकज दल
करें सब भेंट अति अनुपम, बधाई है बधाई है
सुर मुनि हुए हर्षित जो, बने थे ग्वाल अरु गोपी
परम आनन्द उर छाया, बधाई है बधाई है
बज उठी देव-दुंदुभियाँ, गान करने लगे किन्नर
स्वर्ग से पुष्प बरसाये, बधाई है बधाई है

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