दुर्गा देवी स्तुति
मैं करूँ विनती माँ दुर्गा, दुर्गति हारिणी महाकाल
सर्वांग सुन्दरी ज्योतिर्मय, कस्तुरी केसर-तिलक भाल
मुस्कान अधर पे मंद-मंद, आभूषण शोभित रत्न माल
मस्तक पर मंडित अर्ध चन्द्र, माँ के वैभव का नहीं पार
सावित्री, सन्ध्या, महादेव, हरिअज वन्दित महिमा अपार
सौभाग्यदायिनी जग-जननी, माँ राग द्वेष अभिमान हरो
हो न्यौछावर जो भी मेरा, माँ मुझ पर कृपाकटाक्ष करो 

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