विरह व्यथा
मेरे घर आवो सुन्दर श्याम
तुम आया बिन सुख नहीं मेरे, पीरी परी जैसे पान
मेरे आसा और न स्वामी, एक तिहारो ही ध्यान
‘मीराँ’ के प्रभु वेग मिलो अब, राखोजी मेरो मान

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