प्राणाधार
मेरे प्यारे साँवरे! तुम कित रहे दुराय
आवहु मेरे लाड़िले! प्रान रहे अकुलाय
प्रिया प्रानधन लाड़िले, अटके तुम में प्रान
आवन की आसा लगी, देत न इत उत जान
ललित लड़ैती स्वामिनी! सुषमा की आगार
तू ही पिय के प्रीति की, एकमात्र आधार
आजा मेरे लाड़िले! नयननि रखिहों तोय
ऐसी कर करुना कबहुँ, फेर बिछोह न होय

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