मुरली का जादू
मुरलिया काहे गुमान भरी?
जड़ तोरी जानों, पेड़ पहिचानों, मधुवन की लकरी
कबहुँ मुरलिया प्रभु-कर सोहे, कबहुँ अधर धरी
सुर-नर-मुनि सब मोहि गये हैं, देवन ध्यान धरी
‘सूर’ श्याम अस बस भई ग्वालिन, हरि पे ध्यान धरी

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