श्रीकृष्ण प्राकट्य
नन्द घर प्रकटे आनँद कंद
हुआ पुत्र यशुमति मैया को, छायो परमानन्द
जात कर्म संस्कार हो गया, विपुल दियो है दान
भेंट करें सब ग्वाल गोपियाँ, गाये मंगल गान
दुन्दुभियाँ भेरी भी बाजे, करें मंगलाचार
सजे सभी घर ब्रज मण्डल में, शोभित वन्दनवार
आगन्तुक को रोहिणी मैया, करें जहाँ सत्कार
नन्दमहल में ऋद्धि सिद्धियाँ, छाई सभी प्रकार

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