Neel Kamal Mukh Shobhit

श्रीकृष्ण माधुर्य
नील-कमल मुख शोभित, अलकें घुँघराली
कौस्तुभ मणि-माल कण्ठ, शोभित वनमाली
पीताम्बर श्याम-अंग ऐसो सखि सोहे
मानो घन-श्याम बीच, चपला मन मोहे
माथे पर मोर मुकुट, चन्द्रिका बिराजे
भाल तिलक केसर की अनुपम छवि छाजे
कुण्डल की झलक चपल लग रही निराली
त्रिभुवन में गूँज रही, वंशी धुन आली
पूनम की रात मृदुल,पूर्ण चन्द्रिका विलास
जमुना तट वंशीवट, जीव ब्रह्म करत रास
राधा है कृष्ण रूप, कृष्ण ही तो राधा
राधे-कृष्ण नाम जपे, छूटे भव बाधा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *