विरह वेदना
निष्ठुर बने हो कैसे, चित्तचोर हे बिहारी
चित्तवन तुम्हारी बाँकी, सर्वस्व तुम्ही पे वारी
सूरत तेरी सुहानी, नैनों में वह समाई
हम से सहा न जाये, ऐसा वियोग भारी
मुरली की धुन सुना दो, रस प्यार का बहा दो
चन्दा सा मुख दिखा दो, अनुपम छबि तुम्हारी
वन वन भटक रही है, तुमको दया न आती
क्या प्रेम की परीक्षा लेते हो तुम मुरारी
आधार एक तुम ही, प्राणों में साँस भर दो
दर्शन की प्यासी मोहन, हमको है क्यों बिसारी

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