होली
पकरि लेहु सब जसुमति को, लाल चटक यापे रंग डारौ
करि रहयो छेड़खानी कबसे, यापे कोऊ न बरजन वारो
अरी सखी! हौं तो अलबेली, खेलत फाग में परी अकेली
काहु की माने नाहिं तनिक हू, करि रह्यो मोसों ही अठखेली
होरी के मिस करै धमाल अरी सखि जातै लेहु छुड़ाय
पकरि लेहु झटपट नन्दकुमार, कहूँ जे भाग निकरि ना पाय 

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