ब्यालू
राधा मोहन करत बियारू
एक ही थार सँवारे सुंदरि, वेष धर्यो मनहारी
मधु मेवा पकवान मिठाई, षडरस अति रुचिकारी
‘सूरदास’ को जूठन दीनी, अति प्रसन्न ललितारी

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