श्री राधा
राधा रस की खानि, सरसता सुख की बेली
नन्दनँदन मुखचन्द्र चकोरी, नित्य नवेली
नित नव नव रचि रास, रसिक हिय रस बरसावै
केलि कला महँ कुशल, अलौकिक सुख सरसावै
यह अवनी पावन बनी, राधा पद-रज परसि के
जिह राज सुरगन इन्द्र अज, शिव सिर धारें हरषि के

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