श्री लक्ष्मण
रामानुज लक्ष्मण की जय हो
भगवान् राम के भक्तों का, सारे संकट को हरते हो
शेषावतार को लिये तुम्ही, पृथ्वी को धारण करते हो
हो प्राणनाथ उर्मिला के, सौमित्र तुम्हीं कहलाते हो
महान पराक्रमी, सत्-प्रतिज्ञ, रघुवर के काज सँवारते हो
मुनि विश्वामित्र, जनक राजा, श्री रामचन्द्र के प्यारे हो
अभिमान परशुरामजी का जो भी, तुम ही तो उसे मिटाते हो
अनुरक्त राम की सेवा में, दिन रात तुम्ही तो रहते हो

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